रिजर्व बैंक के नए नियमों में ब्याज दरों की पूरी जानकारी के लिए ‘की फैक्ट स्टेटमेंट'(KFS) का हो गया है आदान-प्रदान! अब छुपे शुल्कों का अंत, ग्राहकों को होगा बड़ा फायदा। जानिए और करें सही ऋण का चयन।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के गवर्नर, शक्तिकांत दास ने एक बड़ा कदम उठाया है जो हमें सभी को बहुत लाभ पहुंचाएगा। उन्होंने घोषणा की है कि बैंक नए नियम लागू करने की कड़ी में हैं, जो ऋण लेनेवालों को ही नहीं, बल्कि खासकर छोटे ऋण लेनेवालों को मदद करेंगे। इसे भी पढ़े: Nokia G22 का डिज़ाइन से भरा, बैटरी से भरपूर नया रंगीन दौर!
Key Fact Statement (KFS) के फायदे:
आम तौर से होता है कि छोटे ऋण लेनेवालों को प्रोसेसिंग फी, डॉक्युमेंटेशन फी, इत्यादि चुक्तियां चुकानी पड़ती हैं, और ग्राहकों को यह स्पष्ट रूप से जानकारी होनी चाहिए कि उन्हें वास्तविक वार्षिक ब्याज दर कितनी है। गवर्नर दास ने कहा, “ग्राहक को पता हो कि उसे इतने प्रतिशत की ब्याज दर से ऋण है, लेकिन उसमें अन्य बदलाव और शुल्क भी होते हैं, जो उसे पहले ही देने पड़ते हैं। अब इसे वास्तविक ब्याज दर में शामिल करना चाहिए ताकि ग्राहक को स्पष्टता हो कि उसको कितनी वार्षिक ब्याज दर चुकानी है।
इसे साधने के लिए, गवर्नर ने कहा कि ‘की फैक्ट स्टेटमेंट’ (KFS) में इस तरह की जानकारी होनी चाहिए ताकि ऋण लेनेवालों को अधिक पारदर्शिता मिले। यह की फैक्ट स्टेटमेंट (KFS) अब सभी खुदरा और एमएसएमई ऋणों के लिए फैलाई जा रही है, जिससे ऋण देने में पारदर्शिता आएगी। इसे भी पढ़े: होंडा की नई E-Clutch तकनीक: मोटरसाइकिल की दुनिया में हलचल
आतुल मोंगा, बेसिक होम लोन के सीईओ और सह-संस्थापक ने बताया, इस कदम से बोरोवर्स को कई लाभ होंगे। “पहली बात तो है बेहतर पारदर्शिता। ऋण लेनेवालों को उनके ऋण के साथ जुड़े सभी शुल्कों की स्पष्ट और साफ़ जानकारी मिलेगी। इससे किसी भी छुपे हुए शुल्कों को खत्म किया जाएगा और विभिन्न ऋण विकल्पों के बीच तुलना करना आसान होगा।
“दूसरी बात, ऋण की लागत, शर्तें, और शर्तों की विस्तृत जानकारी मिलने से ऋण लेनेवाले अधिक सूचित निर्णय ले सकते हैं। आरंभ से ही सभी शुल्कों की स्पष्ट समझ होने से ऋण लेनेवाले बेहतर वित्तीय योजना और ऋण चुकाने की बजट तैयार कर सकते हैं। इसके अलावा, ऋण शर्तों की स्पष्टता से संघर्ष में प्रतिस्पर्धा बढ़ सकती है, जिससे ऋण लेनेवालों को अधिक अनुकूल शर्तें और कम लागत मिल सकती हैं। इस उपाय से संभावित भ्रांतिमूलक अभ्यासों से बचा जा सकता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि ऋण लेनेवालों को उनके वित्तीय प्रतिबद्धता के पूर्ण ज्ञान हो। इसे भी पढ़े: होंडा की नई E-Clutch तकनीक: मोटरसाइकिल की दुनिया में हलचल
Highlights of the Monetary Policy announcement today by Governor Shri @DasShaktikanta. #rbi #rbitoday #rbigovernor #rbipolicy #monetarypolicy #rbimonetarypolicy #shaktikantadas pic.twitter.com/NpY0tOm8UT
— ReserveBankOfIndia (@RBI) February 8, 2024
विवेक इयर, ग्रांट थॉर्नटन भारत के साथी, कहते हैं कि ऋण लेनेवालों के लिए की फैक्ट स्टेटमेंट(KFS) जारी करना उन्हें उनके ऋण की संपूर्ण जानकारी होने में मदद करेगा, जैसे कि ऋण की राशि, ब्याज दर, ब्याज प्रकार, जमानत का विवरण और उन्हें चार्ज किए जाने वाले सभी प्रकार के शुल्क। उनके अनुसार, की फैक्ट स्टेटमेंट में लागू होने वाले बाकी विवरण इसमें शामिल होंगे, जैसे कि अधिकतम या न्यूनतम सीमा, अनुसूचित होने की स्ट्रक्चर, भुगतान की आवृत्ति, सुरक्षा (यदि कोई हो), ऋण से जुड़ी अनिवार्य बीमा नीति (यदि कोई हो)।
विवेक इयर ने कहा कि की फैक्ट स्टेटमेंट (KFS) केवल एक सरल डिस्क्लोजर दस्तावेज है जो उनके उधार स्थिति के सभी वित्तीय पैरामीटरों को रोंकता है, जैसे कि ब्याज, शुल्क, ईएमआई, ऋण की राशि, ऋण का सुरक्षा, ऋण के प्रकार आदि। रिजर्व बैंक के किस्से की राष्ट्रीय दिनचर्या के लिए की फैक्ट स्टेटमेंट(KFS) की अब तक की सूची है।