शीघ्रपतन यानि प्रीमैच्योर इजैकुलेशन पर बात करना बहुत जरूरी है क्योंकि इससे छुटकारा पाने के लिए लोग कई दवाइयां खाते हैं। लेकिन इन दवाइयों से शीघ्रपतन यानि प्रीमैच्योर इजैकुलेशन सही होता है या नहीं होता यह तो हमें नहीं पता लेकिन नुकसान लोगों को बहुत बड़े लेवल पर हो रहा है।
इसलिए इस आर्टिकल में आज हम जानेंगे कि आप कैसे आयुर्वेदिक नुस्खों के माध्यम से अपने शीघ्रपतन यानि प्रीमैच्योर इजैकुलेशन को ठीक कर सकते हैं। शीघ्रपतन यानि प्रीमैच्योर इजैकुलेशन/सेक्शुअल डिसऑर्डर की जब हम बात करते हैं तो लोग इस पर बात करने से पहले शर्माते हैं और ओपनली बात नहीं करते और परिवार के बीच में बात करना तो दूर की बात है। तो आजकल देखा गया है कि जो हमारे लाइफ स्टाइल है उसकी वजह से शीघ्रपतन यानि प्रीमैच्योर इजैकुलेशन बहुत कॉमन है।
शीघ्रपतन यानि प्रीमैच्योर इजैकुलेशन आज के समय में इतना बढ रहा है?
शीघ्रपतन यानि प्रीमैच्योर इजैकुलेशन के कई कारण हैं उसमें एक बहुत बड़ा कारण है तनाव। आज हर आदमी के दिमाग में तनाव बहुत तेजी से बढ़ रहा है हम चिंता के कारण अपनी समस्याएं बढ़ा रहे हैं। चिंता जब हमारे दिमाग में आती है तो हमारा सबसे पहले पेट और पेट के नीचे का भाग अफेक्टेड होता है। पाचनतंत्र डिस्टर्ब होता है।
कुछ बीमारी ऐसी हो गई जैसे डायबिटीज और ब्लड प्रेशर। जो हर घर में बीमारी बहुत तेजी से बढ़ रही है और एक अनुसंधान में पाया गया कि सन् 2025 तक डायबिटीज हमारी देश का हब बन जायेगी। लगभग 25% लोग डायबिटिक हो जायेंगे और हम आज भी इस बीमारी के बारे में बहुत ज्यादा नहीं चेत रहे।
बीपी, शुगर, चिंता और कभी कभी जब आदमी डिप्रेशन में होता है तो एंटी डिप्रेशन मेडिसिन बहुत ज्यादा खाता है। उसका भी बहुत बड़ा साइड इफेक्ट है। हमको सबसे पहले उस कारण को खोजना चाहिए जिस कारण से हमें समस्या बन रही है। हमारी फिजिकल एक्टिविटीज बहुत कम हो गई।
क्या हमें खटटा खाने से बचना चाहिए?
पहले लोग कहते थे कि खट्टे को ज्यादा नहीं खाना चाहिए। खासतौर से इमली या सिरका। जो नेचुरल सिरका है गन्ने के रस का, वह तो पाचन तंत्र के लिए बहुत अच्छा है। लेकिन मार्केट में जो सिंथेटिक वेनेगर आ रहा है यह बहुत नुकसानदायक है और जंक फूड में इसका प्रयोग बहुतायत होता है और यह एसिडिक नेचर होने के कारण हमारी PH वैल्यू चेंज कर रहा है।
पाचनतंत्र डिस्टर्ब करके हमारा जो शरीर का रस है वह दूषित हो रहा है। जो रस दूषित हुआ तो उसके आगे की जो चेन है रस, रक्त, मांस, मेद, अस्थि, मज्जा, शुक्र यह धीरे धीरे वीक हो रही है। रस के आगे कोई भी चेन इफेक्टेड होगी तो आगे की चेन सारी रुक जाएंगी और हमारे शरीर में कमजोरी सबसे पहले आने लगेगी।
दूसरा पोषक तत्वों का शरीर में कमी होना। पहले हम मोटा अनाज खाते थे, स्वस्थ रहते थे। जबसे यह पतला अनाज मार्किट में आया तब से हमारे शरीर में बीमारियों का घर बनने लगा। हमको अपने खाने का विशेष ध्यान रखते हुए मोटा अनाज, गेहूं के साथ साथ चना, रागी, और बाजरा इसको मिलाकर सेवन करना चाहिए।
हमको ऋतु के हिसाब से बाजरा और रागी थोड़ा गरम है तो उसको गर्मियों में नहीं खाना चाहिए। एक पुरानी कहावत है एक चना और बाकी सब मना। चना बहुत ज्यादा पौष्टिक है। हमको गेहूं के साथ चना जरूर पिसवाकर उसकी रोटी का सेवन करना चाहिए।
क्या पेट खराब होना शीघ्रपतन यानि प्रीमैच्योर इजैकुलेशन का कारण बनता है?
आयुर्वेद में कहा गया है सब बीमारियों की जड़ पेट है। हम लोग एक बार भी प्रोपर तरीके से पेट को साफ नहीं रख पाते और Laxatives दवाई हमको ज्यादा नहीं खानी चाहिए। इसको खाने से हमारा पाचन तंत्र के साथ साथ हमारी आंतें भी वीक होने लगती हैं और आंतें कमजोर ना हो, आंतों में जान लाने के लिए फाइबर बहुत जरूरी है।
हमको फाइबर के रूप में पतला आटा के बजाय चोकर वाला मोटी रोटी का सेवन करनी चाहिए। साथ ही साथ सब्जियों का सेवन हमें अधिक करना चाहिए। सब्जियों में फाइबर बहुत प्रचुर मात्रा में खासतौर से लौकी हो, तरोई हो, टिंडा हो, परवल हो। यह हमारे पाचन तंत्र के लिए अमृत तुल्य है।
शीघ्रपतन यानि प्रीमैच्योर इजैकुलेशन दवाओं के भ्रामक प्रचार से बचे।
शीघ्रपतन यानि प्रीमैच्योर इजैकुलेशन से बहुत ज्यादा और तेजी से ग्रसित होने के कारण लोग भ्रामक प्रचार में फस कर चुपचाप वह दवाई लेते हैं। परन्तु उन दवाइयों से बहुत लाभ नहीं मिल पता है।
दूसरा हर चीज हरेक के लिए नहीं है। हर बीमारी के लिए, हर आदमी के लिए दवाइयां अलग अलग हैं। और यदि हम एक ही दवाई सब पर अप्लाई करें तो कई बार फायदे की जगह नुकसान हो जाता है। आपने सुना होगा शायद! शहद एक बहुत अच्छा एंटीबायोटिक माना जाता है। हम शहद का सेवन करते हैं शहद हमारे शरीर में आंत में नहीं जाता बल्कि अमाशय में ही एब्जॉर्ब हो जाता है शहद हमारे शरीर के लिए बहुत अच्छा है। लेकिन किसी किसी को शहद खाने से पेट में मरोड़ और पेट में दर्द बहुत बुरी तरह हो जाता है।
इसी तरह पपीता बहुत अच्छा लैक्सेटिव भी है। पाचन तंत्र के लिए अच्छा भी है, फाइबर से प्रचुर भी है। लेकिन कुछ लोगों को पपीता सूट नहीं करता। खाते पेट गुम हो जाता है। इसीलिए मैं कह सकता हूं कि हर चीज हर एक के लिए नहीं है।
कई बार कुछ लोग ज्यादा के चक्कर में ज्यादा दवाई ले लेते हैं। वह कई बार फायदे की जगह नुकसान देने लगती है तो हमको नुकसान नहीं करना। मेरा तो यह सोचना है कि किसी को लाभ नहीं होता तो ना हो लेकिन नुकसान नहीं होना चाहिए। शीघ्रपतन यानि प्रीमैच्योर इजैकुलेशन की दवाइयां है वह मिस ब्रांडिंग करके बेची जा रही है।
शीघ्रपतन यानि प्रीमैच्योर इजैकुलेशन को घरेलू नुस्खों से ठीक करना चाहे है तो कौन से नुस्खे अपनाना चाहिए।
1. आयुर्वेद में कहा गया है कि – “पान मूल अरु मूसली, नागौरी असगंध, शहद मिलाकर चाट”। ये शीघ्रपतन यानि प्रीमैच्योर इजैकुलेशन हो बंद कर देता है। पान मूल पान की जड़ को कहते हैं। अगर आप सफेद मूसली को नहीं खरीद पातें हों तो “सेमल मूसली” सिंबल की जड़ को कहते हैं। सेमल मूसली यह ले सकते हैं। सबको बराबर मात्रा में कूटकर हम चूर्ण बनाकर एक छोटी चम्मच तीन ग्राम के लगभग शहद मिला कर के ऊपर से दूध पी लें।
2. एक बहुत ही सस्ता और चमत्कारिक नुस्खा है यह आयुर्वेदिक वियाग्रा से भी अच्छी है। आप सभी लोग इमली का प्रयोग करते हैं और इमली के बीजों को फेंक देते हैं। इमली के बीज कलेक्ट कर लें और रात्रि में उसको गरम पानी में भिगोकर रख दें। प्रातःकाल उसका छिलका फूल जायेगा। उसके छिलके को उतार लें। जितनी उसकी मींगी हो उसमें उतना ही गुड़ मिला करके, कूटकर बेर की तरह, बेर की जितनी गोली बना लें.
दिन में 1 से 2 बार एक एक या दो दो गोली का सेवन करें तो शरीर बलिष्ठ बनता है। इससे बहुत लाभ मिलता है कई बार इतना ज्यादा होता है कि आदमी डिस्चार्ज नहीं हो पाता। यदि उसको ऐसी दिक्कत हो तो नींबू चाट ले या नींबू की कोई खटाई ले ले। अचार ले ले वह एकदम से डिस्चार्ज हो जायेगा और इसका कहीं कोई साइड इफेक्ट नहीं है।
3. शिलाजीत हर व्यक्ति को नियमित रूप से सेवन करने चाहिए। खासतौर से सर्दियों में जरूर सेवन करनी चाहिए। उसके बॉडी के जितने भी स्रोत हैं सबका शोधन होता है। उसके जितने भी ग्लैंड्स हैं चाहे वह पीनियल ग्लैंड हो, थायरायड ग्लैंड हो या प्रोस्टेट ग्लैंड हो सब एक्टिव रहते हैं और पैनक्रियाज पर इसका बहुत अच्छा रोल है।
शिलाजीत को कैसे खाना चाहिए।
शिलाजीत को हमको एक बूँद दूध में डालकर या दूध के साथ हम सेवन करते रहें। इसकी मात्रा एक बून्द से लेकर के 10 ग्राम तक है लेकिन आज के समय में 10 ग्राम बहुत ज्यादा है। हम 1 से 2 बूँद यदि दूध के साथ रात्रि में सेवन करते रहे, तो हमको उतना ही लाभ मिलता है।
शिलाजीत के साथ कुछ रेस्ट्रिक्शन है जिनको हमको फॉलो करना चाहिए।
शिलाजीत के साथ हमको चाय, कॉफी, शराब, मिर्च मसाले, खटाई इत्यादि का परहेज रखना चाहिए और जितना हम ब्रह्मचर्य का पालन करेंगे उतना हमको लाभ मिलेगा।
एक पहाड़ में दाल होती है जिसको कहते हैं गहत या कुलक, ये दोनों बिल्कुल एण्टी हैं। हमको शिलाजीत के सेवन में गहत या कुलक का प्रयोग बिल्कुल नहीं करना है
क्या शीघ्रपतन यानि प्रीमैच्योर इजैकुलेशन को रोकने के लिए अश्वगंधा भी लाभदायक है।
अश्वगंधा यदि एक ग्राम दूध के साथ वैसे ही सेवन करते हैं तब भी हमको शीघ्रपतन यानि प्रीमैच्योर इजैकुलेशन में बहुत लाभ मिलता है और इनके सेवन से शीघ्रपतन तो दूर होता ही है साथ ही साथ स्पर्म क्वालिटी भी हमारी इम्प्रूव होती है। जिनके सीमेन में स्पर्म काउंट कम हो उनको भी इस चीज से बहुत लाभ मिलता है।
बॉडी का स्टैमिना और एनर्जी बढ़ाने के लिए क्या खान चाहिए
बॉडी का स्टैमिना और एनर्जी बढ़ाने के लिए अश्वगंधा, मूसली और शतावर को बराबर मात्रा में मिलाकर सेवन करना चाहिए।
शतावर: जिन लेडीज के हार्मोन्स डवलप नहीं होते और डिलीवरी के बाद दूध प्रॉपर नहीं उतरता यदि वह महिलाएं शतावर का चूर्ण दूध के साथ सेवन करें तो उनको दूध भी उतरने लगता है और उनका जो यूट्रस है उसकी सफाई प्रॉपर हो जाती है और किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं होता। डिलीवरी के बाद जो कमजोरी आती है वह बहुत तेजी से भर जाती है।
क्या ये दवाये वात पित्त कफ वाले तीनों लोग खा सकते हैं ?
यदि किसी आदमी की पित्त प्रकृति है तो उसको सबसे पहले अपने पित्त प्रकृति को शांत करना चाहिए और उसके साथ बैंगन, गुड़, खटाई इनका प्रयोग भूलकर भी नहीं करना चाहिए। दूध कुछ लोगों में कफ बनाता है तो ऐसे लोगों को दूध में थोड़ी हल्दी मिला कर पीना चाहिए जिससे कफ बनना कम होगा ही साथ ही साथ शरीर के अंदर जमा हुआ कफ को भी निकाल देगा।
वात प्रधान लोगों के लिए हैं शिलाजीत और अश्वगंधा अमृत की तरह माना जाता है।
बहुत से लोग हर दिन ये “साबुत अनाज” खाते हैं, इसलिए रक्त शर्करा में बढ़ोतरी से सावधान रहें।